एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट को काला कानून बताने वाले और सामाजिक न्याय के कट्टर विरोधी

एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट को काला कानून बताने वाले और सामाजिक न्याय के कट्टर विरोधी सवर्ण कितने जहरीले और शातिर हैं इसकी बानगी तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। नीचे तस्वीरों में एक सवर्ण लड़के के फेसबुक वॉल के कुछ फुटेज दिए गए हैं। इस लड़के ने कुछ लोगों के साथ मिलकर 26 मार्च को बिहार बन्द के दिन विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एक शिक्षक को क्लासरूम से खींचकर थप्पड़ मारा। घटना के बाद उसी दिन शिक्षक ने इस पूरे मामले पर एफआईआर दर्ज कराते हुए इंसाफ की गुहार लगाई। दूसरे दिन इसी लड़के ने एक दलित लड़के को सामने लाकर हिंदी विभाग के उक्त शिक्षक और विभागाध्यक्ष पर एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट के तहत जातिसूचक गाली देने का झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया। इससे इस लड़के की शातिरी समझ सकते हैं। एक तो इस कानून का बेजा इस्तेमाल होता है, इसकी भी इसने पुष्टि कर दी और सामाजिक न्याय के लिए आवाज बुलंद करने वाले हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र महतो को भी इसने बदनाम करने की कोशिश की। डॉ. योगेंद्र को जानने वाले जानते हैं कि उनपर लगाया गया यह इल्जाम कितना बेबुनियाद है। हाँ एक ब...