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RSS और संविधान

---------------------------------- ● ‘जो लोग क़िस्मत से सत्ता में आ गये हैं वे हो सकता है कि हमारे हाथों में तिरंगा झण्डा थमा दें लेकिन हिन्दू कभी उसे स्वीकार या सम्मानित नहीं करेंगे. यह 3 का अंक अपने आप में ही अशुभ है, और एक ऐसा झण्डा जिसमें तीन रंग हों, वह निश्चय ही देश के लिये बहुत बुरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव उत्पन्न करेगा और देश के लिये हानिकारक होगा! (RSS के मुखपत्र आर्गेनाइजर, अंक 3 में छपे लेख "भगवा ध्वज का रहस्य" से) ● हमारे नेताओं ने हमारे देश के लिये एक नया ध्वज स्थापित किया है. उन्होंने ऐसा क्यों किया? यह सिर्फ़ नक़ल और भटकाव का एक उदाहरण है. हम एक प्राचीन और गौरवशाली देश हैं, जिसका एक शानदार अतीत है! फिर, क्या हमारे पास अपना कोई ध्वज नहीं है? क्या इन हज़ारों सालों में हमारा कोई राष्ट्रीय चिन्ह नहीं है? बेशक़ है! फिर क्यों हमारे दिमागों में ऐसी जड़ता और शून्य पूरी तरह से भरे हुए हैं? (RSS के द्वितीय सरसंघचालक गोलवरकर की पुस्तक ‘बंच आफ़ थाट्स’ से, पेज़- 237-238 , प्रकाशक- साहित्य सिंधु, बेंगलोर- 1996) ● ‘संविधान बनाते समय हमारे ‘स्व’ और 'हिन्दू' होने को भुला दिया...

EVM, अंबानी-अडानी, अर्णव गोस्वामी, जाति जनगणना न कराना, सरकारी शिक्षा व्यवस्था की तबाही

EVM, अंबानी-अडानी, अर्णव गोस्वामी, जाति जनगणना न कराना, सरकारी शिक्षा व्यवस्था की तबाही, हेल्थ सेक्टर में सरकार की भूमिका घटना, आरक्षण को कमजोर करने के लिए बेधड़क निजीकरण, राम मंदिर का ताला खोलना...सब कांग्रेस के कुकर्म हैं। बीजेपी वही खेल और नंगा खेल रही है। इत्ती सी बात है जी।  जब बेधड़क और नंगा खेलने वाला मिल गया तो डोमिनेंट आइडियोलॉजी और डोमिनेंट क्लास एवं जातियों ने कांग्रेस को दरकिनार कर बीजेपी को चुन लिया।  सत्ता और उसकी आइडियोलॉजी अपेक्षाकृत स्थिर और स्थायी होती है। सरकारें आती-जाती रहती हैं।  अंबानी-अडानी को नरेंद्र मोदी ने नहीं, प्रणव मुखर्जी, अहमद पटेल और सबसे बढ़कर नरसिंह राव और मनमोहन सिंह ने बनाया है। EVM भी कांग्रेस की देन है। अब सारे औज़ार बीजेपी के हाथ में आ गए हैं तो कांग्रेसी रो रहे हैं। साथ में उम्मीद कर रहे हैं कि उनका टाइम फिर से आएगा!