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Showing posts from March, 2021

इंसानियत और तर्क की बात

यह ऐसा समय है जब समाज इंसानियत और तर्क की बात करने  वाले हार रहे हैं और पूंजीवादी युद्धवादी राष्ट्रवादी तेज़ी से सारी  दुनिया में अपने पैरपसारते जा रहे हैं, ये ऐसा समय भी है जब सारी  दुनिया को एकमानने वाले बेईज्ज़त किये जा रहे हैं और अपने मुल्क  को महान बनाने के नारे लगाने वाले लोग सत्ता के सर पर बैठ गए  हैं,ये वो दौरहै जब इंसानियत की बात, सहनशीलता और तर्कशीलता  भयानक षड्यंत्र से जुड़े शब्द माने जा रहे हैं, दूसरों का ख्याल किये  बिना अपना ऐश ओ आराम बढ़ाते जाने को विकास मान लिया गया  है, ऐसे समय में कौन सी राजनीति लोकप्रिय होगी आप खुद सोचिये  ? एक इंसान आपसे कहता है कि तुम्हारा धर्म सबसे अच्छा है  तुम्हारी जाति सबसे ऊंची है ऐय्याशी से जीना और किसी बात की परवाह ना करना सबसे अच्छा जीवन है आओ अपने प्रतिद्वंदी धर्म  वाले को मार दें, आओ पड़ोसी मुल्क को मज़ा चखा दें, दूसरी तरफ दूसरा इंसान आपसे कहता है कि सिर्फ आपका धर्म सबसे अच्छा नहीं है बल्कि दुनिया के सभी धर्म एक जैसे हैं और सभी धर्म पुराने और अधूरे हैं इंसान को नई जानकारियों और खोजों से खुद ...

8 मार्च अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस

 अन्तरराष्ट्रीय स्त्री दिवस (8 मार्च) के अवसर पर आज स्त्री मुक्ति लीग, उत्तराखंड द्वारा देहरादून के राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज में ईरानी फ़ि‍‍ल्मकार मर्जिएह मेश्किनी की स्त्री प्रश्न पर केन्द्रित एक विश्व प्रसिद्ध ईरानी फ़िल्म   THE DAY I BECAME A WOMAN ( वह दिन जब मैं औरत बन गई) की स्क्रीनिंग और उसपर बातचीत की गई। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्त्री दिवस के इतिहास और आज के समय में इसकी महत्ता पर भी विस्तार से  बात की गयी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्त्री मुक्ति लीग की संयोजिका कविता कृष्णपल्लवी ने स्त्री दिवस के इतिहास पर चर्चा करते हुए कहा कि, 1910 में आयोजित समाजवादी महिला सम्मेलन में नारी-मुक्ति-संघर्ष और मेहनतकश अवाम की नेता क्लारा जेटकिन ने शान्ति, जनतन्त्र और समाजवाद के लिए संघर्ष में दुनियाभर की उत्पीड़ित औरतों की क्रान्तिकारी एकजुटता के प्रतीक के तौर पर 8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय स्त्री दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया था, क्योंकि इसी दिन 1857 में अमेरिका के कपड़ा उद्योग में काम करने वाली मेहनतकश औरतों ने काम के घण्टे 16 से 10 करने के लिए एक जुझारू प्रदर्शन ...

Mata Savitry bai Fule माता सावित्री बाई फूले

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  आज दिनांक 10 मार्च,2021ई को आधुनिक भारत में महिलाओं की शिक्षा की ऐतिहासिक नींव रखने वाली, प्रथम छात्रा और शिक्षिका,ऊंच-नीच, छुआछूत एवं लिंग-विभेद के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करने वाली अदम्य योद्धा, समाज सुधार की महानायिका राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले का 124वां परिनिर्वाण दिवस है। इस पुनीत अवसर पर सभी नागरिकों एवं बहुजन समाज के लोगों की ओर से उनके प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि और शत शत नमन।            03 जनवरी,1831ई में उनका जन्म महाराष्ट्र के सातारा जिले में खंडाला तहसील के नायगांव निवासी खंडोजी नेवसे पाटिल की ज्येष्ठ पुत्री के रूप में हुई थी।1840 ई में केवल 9 वर्ष की आयु में सावित्रीबाई की शादी तेरह वर्षीय ज्योतिबा फुले के साथ कर दी गई थी।  ज्योतिबा फुले और बुआ सगुणाबाई क्षीरसागर के प्रयास से उनकी शिक्षा हुई।         01जनवरी,1848ई में ज्योतिबा फुले ने आधुनिक भारत में प्रथम कन्या विद्यालय की स्थापना की थीं जिसमें प्रथम छात्रा के रूप में सावित्रीबाई फुले का नामांकन कराया गया था। बहुत ही कम समय में ही दिन- रात मेहनत कर  सावित्रीबा...