इश्क़ की अच्छी बातें।

पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोए, ढ़ाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित होए।। इश्क़ जाति देखकर नहीं होता। मोहब्बत क्रांति करने के लिए नहीं होती, पर मोहब्बत से संभव है कि क्रांति हो जाए। प्रेम वैसे नहीं होता जैसे गणितीय गणना होती है सोच-समझ कर। सोच-समझ कर तो अवसर के फायदे उठाये जाते हैं। अगर यह सब है, तो वह बाक़ी कुछ भी हो, इश्क़ नहीं है. इश्क़ करना अपने आप में ही क्रांति है। इश्क़ में दो अलग-अलग शख़्स मिलकर एक हो जाते हैं। कोई बड़ा, छोटा या ऊँचा नीचा नहीं रह जाता है। इश्क़ बेड़ियाँ तोड़ता है, जितनी बाहर की, उससे कहीं ज़्यादा भीतर की। इश्क़ हमें एक मुक़म्मल (सम्पूर्ण) इंसान बनाता है। इस दौर को मोहब्बत की सख़्त ज़रूरत है। अगर इश्क दो अलग-अलग धर्म के युवक-यूवती के बीच हो, आपस में प्रेम हो और दोनों में से कोई ये कहें की तुम मेरे धर्म को अपना लो हम दोनों एक जैसे हो जायेंगे, ख़ुशी से जीवन बिताएंगे; यकीन करो ये बाते खुश रहने के लिए पर्याप्त नहीं है अंततः तुम्हे प्रेम ही खुश रख सकता है। बांकी ख़ुशी क्षण भर की होंगी। ऐसा करने से प्रेम के मध्य बड़ा अर्चन पैदा हो सकता है। सोचो इसी धर्म के चलते ...