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Showing posts from September, 2021

गणेश पूजा के इतिहास और संस्कृति को हम जानें और समझें...

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Social Justice (socialjusticesj.blogspot.com) आज गणेश चतुर्थी से पूरे देश भर में गणपति पूजा की हो रही है। महाराष्ट्र एवं  गुजरात में तो यह दस दिवसीय राजकीय पूजा का रूप ग्रहण कर चुका है। बिहार सहित पूरे हिन्दी भाषी क्षेत्रों में भाद्र माह अर्थात भादो महीने के शुक्ल चतुर्थी को चौठचंदा या चौरचंदा के नाम से महिलाओं द्वारा पति और बेटे की दीर्घायु जीवन के लिए चांद की पूजा का व्रत किया जाता है, जिसे गणेश पूजा के साथ भी जोड़ दिया गया है। वास्तव में यह गणेश या  गणपति पूजा है।इसकी शुरुआत गुप्तकाल के बाद हुई थी और बाद में इसे चांद की पूजा से जोड़ कर महिलाओं के बीच सदियों तक प्रचारित- प्रसारित किया गया। आधुनिक भारत में एक समारोह के रूप में महाराष्ट्र में इसकी शुरुआत स्वतंत्रता आंदोलन के प्रसिद्ध ब्राह्मणवादी नेता गंगाधर तिलक के द्वारा की गई थी। कोल्हापुर नरेश छत्रपति शाहूजी महाराज के द्वारा बहुजनों के लिए शिक्षा देने, छुआछूत खत्म करने, राजकीय पदों पर आरक्षण लागू करने एवं उनके अन्य समाज सुधार के कार्यक्रमों को देखकर ब्राह्मणवादी नेताओं और पुरोहितों में खलबली मच गई थी। उनके इन सुधार कार्यक्...

सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने जादुनाथ सिन्हा की थीसिस अपने नाम छपवा ली.

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https://www.facebook.com/rabindrakumar.mandal.1690/videos/3353200271659650/?idorvanity=439133580635381&mibextid=Nif5oz https://www.youtube.com/watch?v=wJbU4Foh7YM&t=25s यह पोस्ट पूरी तरह सत्य घटना पर आधारित है. इस पोस्ट में दर्ज सभी नाम वास्तविक हैं. मैं यह पोस्ट पूरी जवाबदेही के साथ लिख रहा हूँ. कहानी में छह प्रमुख किरदार हैं और तीन उच्च संस्थानों का वर्णन है. 1) जादुनाथ सिन्हा  2) सर्वपल्ली राधाकृष्णन  3) डॉ ब्रजेन्द्रनाथ सील  4) डॉ बीएन सील  5) आशुतोष मुखर्जी 6) श्यामा प्रसाद मुखर्जी संस्थान 1) कलकत्ता हाईकोर्ट 2) कलकत्ता विश्वविद्यालय 3) मैसूर विश्वविद्यालय ब्राह्मण कश्मीरी हो या बंगाली हो या तेलगु हो, इनमें गजब की एकता रहती है. 1921 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के उपकुलपति थे आशुतोष मुखर्जी. इन्होंने औसत दर्जे के शिक्षक तेलगु नियोगी ब्राह्मण सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 2011 किलोमीटर दूर मैसूर विश्वविद्यालय से निकालकर कलकत्ता विश्वविद्यालय में शिक्षक नियुक्त किया. बंगाली छात्रों को सर्वपल्ली राधाकृष्णन की भाषा शैली समझ में नही आती थी. जान पहचान के दम पर कलकत्ता ...