गणेश पूजा के इतिहास और संस्कृति को हम जानें और समझें...

Social Justice (socialjusticesj.blogspot.com) आज गणेश चतुर्थी से पूरे देश भर में गणपति पूजा की हो रही है। महाराष्ट्र एवं गुजरात में तो यह दस दिवसीय राजकीय पूजा का रूप ग्रहण कर चुका है। बिहार सहित पूरे हिन्दी भाषी क्षेत्रों में भाद्र माह अर्थात भादो महीने के शुक्ल चतुर्थी को चौठचंदा या चौरचंदा के नाम से महिलाओं द्वारा पति और बेटे की दीर्घायु जीवन के लिए चांद की पूजा का व्रत किया जाता है, जिसे गणेश पूजा के साथ भी जोड़ दिया गया है। वास्तव में यह गणेश या गणपति पूजा है।इसकी शुरुआत गुप्तकाल के बाद हुई थी और बाद में इसे चांद की पूजा से जोड़ कर महिलाओं के बीच सदियों तक प्रचारित- प्रसारित किया गया। आधुनिक भारत में एक समारोह के रूप में महाराष्ट्र में इसकी शुरुआत स्वतंत्रता आंदोलन के प्रसिद्ध ब्राह्मणवादी नेता गंगाधर तिलक के द्वारा की गई थी। कोल्हापुर नरेश छत्रपति शाहूजी महाराज के द्वारा बहुजनों के लिए शिक्षा देने, छुआछूत खत्म करने, राजकीय पदों पर आरक्षण लागू करने एवं उनके अन्य समाज सुधार के कार्यक्रमों को देखकर ब्राह्मणवादी नेताओं और पुरोहितों में खलबली मच गई थी। उनके इन सुधार कार्यक्...