संविधान बचाओ-लोकतंत्र बचाओ!
संविधान बचाओ-लोकतंत्र बचाओ!
वोट के अधिकार की रक्षा करो!
बिहार को बदलाव की दिशा में ले चलो!
बहुजन विरासत और दावेदारी को बुलंद करो!
सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) का
भागलपुर जिला सम्मेलन.
11 बजे दिन से,3 अगस्त 2025
डॉ.अंबेडकर भवन(सुंदरवन),बरारी रोड,भागलपुर.
साथियो
भाजपा-आरएसएस के राज में संविधान व लोकतंत्र पर लगातार हमला जारी है। जीवन के हरेक क्षेत्र में सवर्ण वर्चस्व को मजबूत बनाया जा रहा है तो देश की संपत्ति व संसाधनों को अंबानी-अडानी जैसे मुट्ठीभर पूंजीपतियों के हवाले किया जा रहा है। बहुजनों ने लंबे संघर्ष से जो संवैधानिक-लोकतांत्रिक अधिकार हासिल किया है, उसको लगातार छीना जा रहा है। इस कड़ी में अब वोट के अधिकार पर डाका डालने की साजिश चल रही है। इसके लिए ही बिहार में अचानक से विधानसभा चुनाव के तीन महीने पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरु की गयी है। बहाना है कि अवैध वोटरों को हटाया जाएगा।
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इस प्रक्रिया के शुरु करने के समय पर सवाल खड़ा किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया को वोटरों की नागरिकता जांचने जैसा माना और कहा कि यह अधिकार चुनाव आयोग को नहीं है। साथ ही,सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग द्वारा वोटरों से मांगे गये दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड को शामिल करने का सुझाव दिया। लेकिन, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में भी आधार कार्ड,राशन कार्ड व वोटर कार्ड को दस्तावेजों की सूची में शामिल करने से इंकार करते हुए नागरिकता के जांच के अधिकार का दावा किया है। चुनाव आयोग की मनमानी व तानाशाही चरम पर है।
साथियो,
वोट का अधिकार बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकार है। संविधान ने सबको एक वोट का अधिकार दिया है,चाहे वह मजदूर हो या पूंजीपति, चाहे वह किसी भी जाति व धर्म का हो। हर किसी के वोट का मूल्य बराबर है। संसद, विधानसभा जैसी संस्थाओं में हर किसी को प्रतिनिधि चुनने और चुने जाने का अधिकार है। सबको मिला यह अधिकार हमारे लोकतंत्र की बुनियाद है। चुनाव आयोग द्वारा शुरु किए गये इस विशेष अभियान से लाखों लोगों, खासतौर से बहुजन समाज के गरीबों-मजदूरों का वोट का अधिकार छीना जाएगा। साथ ही, उन लोगों की नागरिकता पर भी सवाल खड़ा हो जाएगा। नागरिकता पर सवाल खड़ा होने के साथ ही हासिल संवैधानिक अधिकार भी छीन जाने का खतरा पैदा हो जाएगा। चुनाव आयोग द्वारा शुरु किया गया यह विशेष अभियान खासतौर पर बहुजन समाज के गरीबों-मजदूरों के संवैधानिक-लोकतांत्रिक अधिकार पर अधिकतम हमले का अभियान है। यह लोकतंत्र की बुनियाद पर हमला है, संविधान पर हमला है।
दरहकीकत, चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था को मोदी सरकार ने कठपुतली बना लिया है। वह भाजपा के एजेंडा पर काम कर रही है। बिहार से शुरु इस खतरनाक प्रक्रिया को दूसरे राज्यों में भी आगे बढ़ाया जाएगा.जरूर ही मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया के जरिए चुनाव आयोग भाजपा के लिए बिहार की सत्ता पर कब्जा करने की राह आसान बनाने के एजेंडा पर काम कर रहा है। यह चुनाव से पहले भाजपा के मनमाफिक मतदाताओं के चुनाव का ही अभियान है। नीतीश कुमार के सहारे ही बिहार में आगे बढ़ी भाजपा ने अपनी ताकत बढ़ाकर अंतत: नीतीश कुमार को अब कठपुतली बना लिया है और वह अब बिहार की सत्ता पर निर्णायक कब्जा का मंसूबा पाल रही है। भाजपा द्वारा बिहार की सत्ता पर निर्णायक कब्जा का मतलब है, सत्ता पर ब्राह्मणवादी सवर्ण सामंती ताकतों का फिर से निर्णायक कब्जा, बिहार का फिर से 1990 के पीछे लौटना!
बिहार के गरीबों-बहुजनों के हिस्से जो भी सम्मान और संवैधानिक-लोकतांत्रिक हक है, उसे लंबे संघर्षों-शहादतों के जरिए हासिल किया है। यहां तक कि संविधान द्वारा दिये गये वोट के अधिकार का प्रयोग करने के लिए भी लड़ना पड़ा है, शहादतें देनी पड़ी है। इन संघर्षों-शहादतों से ही बिहार के सामाजिक-राजनीतिक जीवन में 1990 में मोड़ आया और सवर्णों को सत्ता के शीर्ष से बेदखल किया गया। बहुजनों की सामाजिक-राजनीतिक दावेदारी ने नयी ऊंचाई हासिल की।
2025 में बिहार फिर नये मोड़ पर खड़ा है,तय होना है कि बिहार बदलाव के रास्ते आगे बढ़ेगा या फिर भाजपा के कब्जे में जाएगा, पीछे लौटेगा! इस मोड़ पर बहुजनों के सामने वोट के अधिकार की रक्षा का सवाल केन्द्रीय एजेंडा के बतौर खड़ा है।
बिहार के बहुजनों के सामने चुनौती है कि वह चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया के जरिए गरीबों-बहुजनों के वोट के अधिकार को छीनने की साजिश को विफल करे, निर्णायक लड़ाई लड़े। भाजपा के सत्ता पर कब्जा के मंसूबे को भी पूरा नहीं होने दे। बहुजनों के हक में बिहार को बदलाव के रास्ते ले चले। लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई को आगे बढ़ाए।
सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार) का यह जिला सम्मेलन सामने खड़ी इस चुनौती को कबूल करने और बिहार के बदलाव के संघर्षों की विरासत और बहुजन दावेदारी को बुलंद करने के लिए आयोजित है। सम्मेलन को सफल बनाइए, सम्मेलन में भागीदारी कीजिए!
निवेदक-सामाजिक न्याय आंदोलन(बिहार),भागलपुर
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