अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने विवादित कृषि क़ानूनों की तारीफ़ की और छोटे किसानों को सामाजिक सुरक्षा देने की बात, लेकिन ये कितना संभव?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने मोदी सरकार के विवादित कृषि क़ानूनों की तारीफ़ की है.
गीता गोपीनाथ ( भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्टडीज़ ऑफ़
इकोनॉमिक्स में प्रोफ़ेसर रही हैं. ) के मुताबिक़, केंद्र सरकार की ओर से लाए गए क़ानूनों में किसानों
की आय बढ़ाने की क्षमता है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि कमज़ोर किसानों को सामाजिक
सुरक्षा देने की ज़रूरत है.वॉशिंगटन स्थित इस वैश्विक वित्तीय संस्थान से जुड़ीं गीता गोपीनाथ ने
मंगलवार को कहा कि 'भारत में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहाँ सुधार की ज़रूरत है और कृषि क्षेत्र उनमें से
एक है.' भारत सरकार ने पिछले साल सितंबर में कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन नए क़ानूनों को लागू किया
था और इन्हें 'कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों' के रूप में पेश किया गया
गीता गोपीनाथ ने की छोटे किसानों को सामाजिक सुरक्षा देने की बात, लेकिन ये कितना संभव?
आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि भारत के नए कृषि क़ानूनों में किसानों की आय
बढ़ाने की क्षमता है, लेकिन ज़रूरी है कि छोटे किसानों को सामाजिक सुरक्षा दी जाए.गीता गोपीनाथ ने कहा, "जब
भी कोई सुधार किया जाता है, तो उससे होने वाले बदलाव की एक क़ीमत होती है. ये सुनिश्चित करना चाहिए कि
इससे कमज़ोर किसानों को नुक़सान न पहुंचें. ये सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराई जा सकती
है."समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में उन्होंने भारतीय कृषि के क्षेत्र में सुधारों की ज़रूरत भी बताई. उन्होंने
मंगलवार को कहा कि ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां सुधार की ज़रूरत है.एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा,
“कृषि क्षेत्र में कई मोर्चों पर सुधार की ज़रूरत है, जिसमें बुनियादे ढांचा और सब्सिडी शामिल है. और ये सुनिश्चित
करना ज़रूरी है कि (सस्टेनेबल) टिकाऊ फसलें उगाई जाएं, इसलिए अभी बहुत कुछ किए जाने की ज़रूरत है.”
न्होंने कहा, “ये क़ानून सिर्फ़ इसके एक हिस्से में सुधार कर रहे हैं, वो है मार्केटिंग. जो एक अहम हिस्सा है. ये कृषि
क़ानून ख़ासतौर से मार्केटिंग क्षेत्र से संबंधित हैं. इनसे किसानों के लिए बाज़ार बड़ा हो रहा है.“
“अब किसान बिना कर चुकाए मंडियों के अलावा कई स्थानों पर भी अपनी पैदावार बेच सकेंगे. बड़े बाज़ारों तक
पहुंच देकर और बाज़ार में ज़्यादा प्रतिस्पर्धा बढ़ाकर इन क़ानूनों में क्षमता है कि ये किसानों की आय को बढ़ा
सकते हैं.”उन्होंने कहा कि कि ये बहुत हद तक इसे लागू करने के तरीक़े पर निर्भर करेगा. हालांकि कृषि मामलों
के जानकार और रूरल वॉइस डॉट इन के एडिटर-इन-चीफ़ हरवीर सिंह कहते हैं कि
आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपिनाथ ने एक सधा हुआ बयान दिया है, "क्योंकि उन्होंने कहा कि पहले
छोटे किसानों की आर्थिक सुरक्षा मज़बूत की जाए. और हमारे देश में 85 फीसदी छोटे और मझोले किसान ही हैं."
BBC - https://www.bbc.com/hindi/social-55838200
https://www.bbc.com/hindi/india-55840326
Comments
Post a Comment