बहुजन नायक संत गाडगे जी

बहुजन नायक संत गाडगे जी की जयंती दिनांक 23 फ़रवरी 21 को अंबेडकर विचार एवं सामाजिक कार्य विभाग, टीएमबीयू , भागलपुर में समारोह पूर्वक मनाई गई। संत गाडगे जी जीवन पर प्रकाश डालते हुए विभाग के अध्यक्ष डॉ.विलक्षण रविदास ने कहा बहुजन नायक संत गाडगे अनपढ़ रहते हुए शिक्षा का अलख जगाते हुए दर्जनों स्कूल, हॉस्टल, महिला स्कूल, धर्मशाला आदि का निर्माण कराया। ये अपने झाड़ू से बाहर का कचरा निकलते हुए दिमाग में कचरे को साफ करने को कहा।

मुख्य अतिथि विष्णुदेव रजक (सेवानिवृत्त डीएसपी) ने कहा संत गाडगे ने जो सपना बहुजन समाज के लिए देखा था उसमें बहुजन हिताय-बहजन सुखाय था। देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर अपने संवाद कला से लोगों के बीच फैले अंधविश्वास को मिटाने का काम जीवनपर्यंत करते रहे। आज हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है जिसे हम-सब मिलकर सफल करेंगे।

सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार के गौतम कुमार प्रीतम ने कहा ब्राह्मणवादी-पितृसत्तात्मक अपसंस्कृति ने हमेशा से इस मुल्क के बहुजनों के साथ अन्याय-उत्पीड़न करता आया है जिसका जवाब बहुजन नायकों ने समय-समय पर देने का काम भी किया है आज मुल्क में ब्राह्मणवाद फिर से पूँजीपतियों के साथ गठबंधन कर देश के शिक्षा-रेलवे-दूरसंचार, जल-जगंल-जमीन के लूट-खसोट सहित तमाम नागरिक अधिकारों का हनन कर रही है। वक्त आ गया है कि इसके लिए वैचारिक विरासत को बुलंद करते हुए सड़क पर उतरकर निर्णायक लड़ाई लड़ी जाय और संविधान-लोकतंत्र व आत्म सम्मान की रक्षा लिए संघर्ष तेज करें।

समाजिक न्याय आंदोलन बिहार के रिंकु यादव ने कहा कुछ बहुजन समाज के लोग स्कूल-कोचिंग खोलकर और बहुजन नायकों की सिर्फ जयंति मनाकर ही गलतफ़हमी पाल लिए है कि सामाजिक बदलाव हो जाएगा और उसमें अपने अवसर तलाश रहे है। सत्तासीन मंत्री-सासंद-विधायक से जो बहुजन विरोधी है उससे बहुजन नायकों के कार्यक्रम का उद्घाटन कराकर कुछ हासिल नही होगा।

डाॅ अंजनी विशू ने कहा सवर्ण वर्चस्व स्थापित कर राष्ट्रवाद का अलाप करने वालों के पुरखों को इतिहास रहा है माफी व चाटुकारिता का। यह परजीवी समाज है जैसे पेड़ पर अमरलता रहता है। डॉ अमित कुमार ने उन्हें श्रमण संस्कृति का महान संत बताते हुए ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर चर्चा की। मौके पर रामानंद पासवान, अनुपम आशीष, निर्भय सोनम राव, मिथिलेश विश्वास, अंकेश, सहित विभाग के छात्र व शिक्षक मौजूद थे। संचालन डाॅ. संजय रजक ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ विष्णुदेव दास जी ने किया।

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