सामाजिक न्याय Social Justice

                                    Social Activist Himashu Kumar

साइकिल यात्रा के दौरान स्कूल के बच्चों के साथ मेरी बातचीत,

मैनें बच्चों से पूछा, समाज में ज़्यादा मेहनत करने वाले मज़े में है,

या कुर्सी पर बैठ कर हुकुम चलाने वाले मजे में हैं,

बच्चों ने जवाब दिया कुर्सी पर बैठ कर हुकुम चलाने वाले,

मैनें पूछा, मेहनत करने वाले तकलीफ में और कुर्सी पर बैठ कर हुकुम चलाने वाले मजे में,

क्या यह न्याय है ?

बच्चों नें जवाब दिया नहीं यह अन्याय है,

मैनें अगला सवाल किया,

हम सब गन्दगी करते हैं,

लेकिन एक खास ज़ात के लोग उसे साफ करते हैं,

गन्दगी करने वाले अच्छे होते हैं या सफाई करने वाले ?

बच्चों ने जवाब दिया सफाई करने वाले अच्छे,

मैनें पूछा ज़्यादा इज़्जत किसकी होनी चाहिये ?

गन्दगी करने वालों की या सफाई करने वालों की ?

बच्चों ने जवाब दिया सफाई करने वालों की,

मैनें पूछा क्या सफाई करने वालों को ज़्यादा इज़्जत मिलती है ?

बच्चों ने कहा नहीं मिलती,

मैनें पूछा यह न्याय है या अन्याय ?

बच्चों ने जवाब दिया अन्याय है,

मैनें पूछा जहां अन्याय हो क्या वहां शान्ति हो सकती है ?

बच्चों ने कहा नहीं हो सकती,

मैनें पूछा समाज में अन्याय बना रहे तो क्या पुलिस और फौज के दम पर शान्ति लाई जा सकती है ?

बच्चों ने जवाब दिया नहीं लाई जा सकती,

मैनें पूछा समाज में शान्ति लाने का क्या रास्ता है ?

बच्चों नें कहा अन्याय मिटाना पड़ेगा,

मैनें पूछा समाज से अन्याय कौन मिटायेगा ?

बच्चों ने कहा हम मिटायेंगे.

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