प्यार से रहना आसान, नफरत से रहना दूभर



हिंदुओं में भक्ति का एक प्रकार होता है उसका नाम है विरोधी भक्ति कहते हैं जब आप किसी से खूब ज्यादा नफरत करते हैं तो असल में वह भी मोहब्बत का ही एक रूप होता है

क्योंकि जिससे आप घृणा करते हैं आप हर वक्त उसी के बारे में सोचते रहते हैं


किसी के बारे में हर वक्त सोचने से वह हमेशा आपके दिल में रहने लगता है


और जो हमेशा आपके दिल में रहता है आपको उससे प्यार हो जाता है


तो आपकी ना ना करते प्यार उसी से कर बैठे वाली हालत हो जाती है


जब मैं छोटा था तो हमारी मां एक कहानी सुनाती थी


एक चरवाहा था वह बहुत दुखी रहता था बचपन में उसके मां बाप मर गए थे


वह गांव वालों के जानवर चराता था


गांव वाले बदले में उसे बासी खाना दे देते थे 


दुख सह सह कर धीरे-धीरे उसे भगवान से नफरत हो गई 


जंगल में एक पुराना शिव मंदिर था वह गुस्से में जाकर रोज शिवलिंग को एक लात मारता था


कई लोग थे जो जाकर शिव लिंग को जल भी चढ़ाते थे


एक बार उस इलाके में बरसात जोर से हुई और बाढ़ आ गई 


घर बह गए 


शिव पर रोज जल चढ़ाने वाले अपना घर बार की फिक्र में पड़े थे


लेकिन चरवाहे को शिवलिंग पर रोज लात मारना याद था


चरवाहा बाढ़ में चढ़ी हुई नदी में तैर कर जंगल में पहुंचा और शिवलिंग को एक लात मारी


तुरंत शिव प्रकट हो गए और बोले तू मेरा सच्चा भक्त है


मुझे जल चढ़ाने वाले प्यार का झूठा दिखावा करते हैं


तू भले ही मुझसे नाराज है लेकिन तू नियमित है और अपनी लगन का पक्का है मैं प्रसन्न हुआ और मैं तेरे सारे दुख दूर करता हूं


कहानी खत्म हुई अब मैं असली मुद्दे पर आता हूं


कल आमिर खान की मौत हुई


कौन था यह आमिर खान


आमिर खान वह राम भक्त था जिसने बाबरी मस्जिद तोड़ने में अग्रणी भूमिका निभाई थी 


वह बजरंग दल का सदस्य था और उसकी टीम ने बाबरी मस्जिद तोड़ी थी


वह मुसलमानों के प्रति नफरत से भरा हुआ था


लेकिन धीरे-धीरे उसकी नफरत उसे मुसलमानों के नजदीक ले गई


और एक साल के भीतर ही वह मुसलमान ही बन गया


आप जिसके बारे में हर समय सोचते रहते हैं आप वैसे ही हो जाते हैं


रांझा रांझा करदी नी मैं आपे रांझा होई । 


सद्दो नी मैनूं धीदो रांझा, हीर ना आखो कोई । 


हीर कहती है मैं अपने प्रेमी रांझा का नाम लेते लेते रांझा ही बन गई हूं अब मुझे कोई हीर कह कर मत पुकारो


राधा की भक्ति में भी कृष्ण राधा जैसे बन जाते हैं कृष्ण का नारी रूप मशहूर है


यही हाल बलबीर सिंह का हुआ उसने मुसलमानों से इतनी नफरत करी कि वह मुसलमान ही हो गया


आपका दिमाग एक बहुत कॉम्प्लिकेटेड मशीन है


यह नफरत के बल पर आप को चलाने वालों से ज्यादा चालाक है


दुनिया में बहुत सारे तानाशाहों ने सोचा कि वह इंसानी दिमाग को अपने हिसाब से चला सकते हैं


लेकिन वह सब हार गए


आपका दिमाग सुकून चाहता है मुहब्बत चाहता है आपक दिमाग फसाद और नफरत पसंद नहीं करता


इसीलिए आप जब अपनी मां अपनी बहन अपनी बेटी या अपनी माशूका के साथ होते हैं तो आप अच्छा महसूस करते हैं


क्योंकि तब आप मर्दाना फसाद घमंड बड़प्पन झूठी शान शौकत से दूर होते हैं


आप ऐसा क्यों नहीं करते 


हमेशा के लिए झूठे बड़प्पन फसाद और नफरत को छोड़कर औरतों की तरह क्यों नहीं बन जाते जिन्हें सुकून और मुहब्बत पसंद है


फर्जी मर्दानगी और नफरत ने इस दुनिया को दुखों से भर दिया है आइए इसे राहत का मरहम लगाएं

Comments

Popular posts from this blog

अपने तो अपने होते हैं - महाराजा बिजली पासी जयंती: लालू प्रसाद यादव

आदिवासी भूमि या रणभूमि

ठीक नहीं हुआ प्रधानमंत्री जी!