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Showing posts from 2023

अंबेडकर और गांधी की सामाजिक स्थिति और उसके फायदे!

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 मोहनदास को स्कूल के भीतर बैठाया गया इस लड़के के साथ स्कूल में कोई भेदभाव नही किया गया, जाति से मोड़ बनिया जो था पिता राजकोट रियासत में दीवान थे. ब्लैक बोर्ड पर लिखावट साफ़ दिखाई देती, मास्टर की वाणी भी साफ़ सुनाई पड़ती लेकिन इसके बावजूद भी ये विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर था, स्कूल प्रोग्रेस रिपोर्ट कार्ड अनुसार मोहनदास सामान्य विद्यार्थी था जो इंग्लिश में ठीक ठाक था, गणित और भूगोल में कमजोर और उसकी लिखावट बेहद खराब थी. भीम राव का जन्म गरीब परिवार में हुआ, पिता मामूली सिपाही थे. भीम राव को स्कूल में कक्षा से बाहर बिठाया गया उनसे भेद भाव किया जाता अन्य विद्यार्थी उनकी परछाई से भी दूर भागते. कारण क्रूर सनातन संस्कृति अनुसार भीम राव अछूत महार जाति से हैं. कक्षा में बाहर बिठाए जाने कारण ब्लैक बोर्ड पर अक्षर धूमिल दिखाई देता लेकिन इसके बावजूद भीम राव पढ़ाई में होशियार थे हर विषय में उन्हें महारत हासिल थी. मोहनदास अपने पिता के धन के बल पर लंदन में कानून की पढ़ाई करने गए. भीम राव को बड़ोदा के राजा ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी पढ़ने भेजा पर इसके एवज में उन्हें बड़ोदा रियासत को अपनी सेवा देनी थी. ...

संविधान की सोच

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संविधान कहता है कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह वैज्ञानिक समझ का प्रसार करे इसलिए मैं आपसे कुछ कुछ बातों पर वैज्ञानिक तरीके से सोचने का आग्रह करता हूँ हमारे सभी भगवान् हथियारधारी हैं वे किनको मारते थे ? क्या कहीं ऐसा तो नहीं मारने वालों को ही हमने भगवान बना लिया ? आप कहते हैं वे असुरों को मारते थे मतलब असुर खराब होते थे ध्यान दीजिये हम पूरे असुर समाज को बुरा कहते हैं हमारे युद्ध के वर्णनों में लिखा गया है कि हमले से असुर स्त्रियों के गर्भ गिर गये और असुर जल कर चिल्ला कर भागने लगे इसका मतलब है जिन्हें हम मार रहे थे वे असुर परिवार समेत रहने वाले लोग थे यानी असुर पूरे के पूरे समुदाय थे उनके गाँव थे उनके परिवार थे पत्नी बच्चे घर सब थे यानी वे हमारी तरह के ही लोग थे हम उन्हें मारते थे उनका कसूर था कि वे काले होते थे उनके सींग होते थे वे हो हो करके जोर से हंसते थे आज भी आदिवासी काले होते हैं, हो हो कर के हंसते हैं, आज भी आप कुछ समुदायों से नफरत करते हैं आप दलितों आदिवासियों मुसलमानों ईसाईयों से नफरत करते हैं उनके साथ खान पान शादी ब्याह में आपको आज भी आपत्ति है यानी पूरे के पूरे समुदायों को ...

RSS Rashtriya Swayamsewak Sangh.

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ASSAM CM‟S CLAIM THAT BAJRANG DAL HAS NO LINK WITH RSS CONTRADICTS RSS ARCHIVES   A leading RSS cadre who happens to be the chief minister of Assam, Himanta Biswa Sarma true to his training at the RSS „boudhik shivirs‟ (ideological training camps) resorted to a Hindutva trade-mark lie that “The Bajrang Dal is not associated in any way with the Bharatiya Janata Party or the Rashtriya Swayamsevak Sangh.” [„RSS, BJP don't even have a distant connection with Bajrang D al: Himanta on outfit providing arms training in Assam, The Indian Express, Delhi, September 12, 2023. Link: https://indianexpress.com/article/india/rss-bjp-bajrang-dal-himanta-biswa-sarma-8935343/] This lie was spoken not while addressing some Hindutva zealots or election meeting but in a meeting of Assam Assembly. He was responding to an adjournment motion on arms training during a Bajrang Dal camp in the state earlier in 2023. Let us compare this claim of Himanta with the documents in the RSS archives. The ...

अखिल भारतीय पासी समाज

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अखिल भारतीय पासी समाज जिला शाखा के चौथम प्रखंड के नीरपुर पंचायत में एक बैठक का आयोजन संयोजक पंकज चौधरी के अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष शोभा कांत चौधरी जिला प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी गोपाल कृषण चौधरी गोगरी संयोजक सहदेव चौधरी के अलावा दर्जनों दंडाधिकारी बैठक में सिरकत किया। सभा को संबोधित करते हुए संयोजक पंकज चौधरी ने कहा कि संगठन की मजबूती सबसे पहले जरूरी है इसे पंचायत से लेकर जिला स्तर तक ले जाना है। वहीं जिला अध्यक्ष शोभा कांत चौधरी ने कहा कि 2016 से लेकर अब तक राज्य सरकार के तुगलकी फरमान के चलते राज्य भर के पासी समाज हसिये पर है अगर इस पर रोक राज्य सरकार नहीं लगाती है तो बाध्य होकर आने वाले 2024 का लोकसभा चुनाव 2025 का विधानसभा चुनाव के जदयू को वोट नहीं करेंगे। ये कार्य सिर्फ़ खगड़िया तक नहीं राज्यभर के पासी समाज बहिष्कार करेंगे। पासी समाज सरकार से मांगा करती है कि के के पाठक द्वारा जो काला कानून लगाया था उसे अविलंब समाप्त करने की मांग की। वहीं जिला प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी गोपाल कृष्ण चौधरी ने कहा कि पासी समाज की समस्या को लेकर एक शिष्ट मंडल देवनानी चौधर...

प्रधानमंत्री गुलज़ारीलाल नंदा

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  एक आज वाला है और एक प्रधानमंत्री थे गुलज़ारी लाल नंदा। एक बार 94 साल के एक बूढ़े व्यक्ति को मकान मालिक ने किराया न दे पाने के कारण उसे मकान से निकाल दिया। बूढ़े व्यक्ति के पास एक पुराना बिस्तर, कुछ एल्युमीनियम के बर्तन, एक प्लास्टिक की बाल्टी और एक मग आदि के अलावा शायद ही कोई और सामान था। बूढ़े ने मालिक से किराया देने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया। पड़ोसियों को भी बूढ़े आदमी पर दया आयी और उनके कहने पर मकान मालिक को किराए का भुगतान करने के लिए उस बूढ़े आदमी को कुछ दिनों की मोहलत देने के लिए मना लिया। वह बूढ़ा आदमी अपना सामान अंदर ले गया। रास्ते से गुजर रहे एक पत्रकार ने रुक कर यह सारा नजारा देखा। उसने सोचा कि यह मामला उसके समाचार पत्र में प्रकाशित करने के लिए उपयोगी होगा। उसने एक शीर्षक भी सोच लिया,  ”क्रूर मकान मालिक, बूढ़े को पैसे के लिए किराए के घर से बाहर निकाल देता है।”  फिर उसने किराएदार बूढ़े की और किराए के घर की कुछ तस्वीरें भी ले लीं।  पत्रकार ने जाकर अपने प्रेस मालिक को इस घटना के बारे में बताया। प्रेस के मालिक ने तस्वीरों को देखा और हैरान रह गए। उन्होंन...

इश्क़ की अच्छी बातें।

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पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोए,  ढ़ाई आखर प्रेम के पढ़े सो पंडित होए।।  इश्क़ जाति देखकर नहीं होता। मोहब्बत क्रांति करने के लिए नहीं होती, पर मोहब्बत से संभव है कि क्रांति हो जाए। प्रेम वैसे नहीं होता जैसे गणितीय गणना होती है सोच-समझ कर। सोच-समझ कर तो अवसर के फायदे उठाये जाते हैं। अगर यह सब है, तो वह बाक़ी कुछ भी हो, इश्क़ नहीं है. इश्क़ करना अपने आप में ही क्रांति है। इश्क़ में दो अलग-अलग शख़्स मिलकर एक हो जाते हैं। कोई बड़ा, छोटा या ऊँचा नीचा नहीं रह जाता है। इश्क़ बेड़ियाँ तोड़ता है, जितनी बाहर की, उससे कहीं ज़्यादा भीतर की। इश्क़ हमें एक मुक़म्मल (सम्पूर्ण) इंसान बनाता है। इस दौर को मोहब्बत की सख़्त ज़रूरत है। अगर इश्क दो अलग-अलग धर्म के युवक-यूवती के बीच हो, आपस में प्रेम हो और दोनों में से कोई ये कहें की तुम मेरे धर्म को अपना लो हम दोनों एक जैसे हो जायेंगे, ख़ुशी से जीवन बिताएंगे; यकीन करो ये बाते खुश रहने के लिए पर्याप्त नहीं है अंततः तुम्हे प्रेम ही खुश रख सकता है। बांकी ख़ुशी क्षण भर की होंगी। ऐसा करने से प्रेम के मध्य बड़ा अर्चन पैदा हो सकता है। सोचो इसी धर्म के चलते ...