अंबेडकर और गांधी की सामाजिक स्थिति और उसके फायदे!
मोहनदास को स्कूल के भीतर बैठाया गया इस लड़के के साथ स्कूल में कोई भेदभाव नही किया गया, जाति से मोड़ बनिया जो था पिता राजकोट रियासत में दीवान थे.
ब्लैक बोर्ड पर लिखावट साफ़ दिखाई देती, मास्टर की वाणी भी साफ़ सुनाई पड़ती लेकिन इसके बावजूद भी ये विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर था, स्कूल प्रोग्रेस रिपोर्ट कार्ड अनुसार मोहनदास सामान्य विद्यार्थी था जो इंग्लिश में ठीक ठाक था, गणित और भूगोल में कमजोर और उसकी लिखावट बेहद खराब थी.
भीम राव का जन्म गरीब परिवार में हुआ, पिता मामूली सिपाही थे. भीम राव को स्कूल में कक्षा से बाहर बिठाया गया उनसे भेद भाव किया जाता अन्य विद्यार्थी उनकी परछाई से भी दूर भागते. कारण क्रूर सनातन संस्कृति अनुसार भीम राव अछूत महार जाति से हैं.
कक्षा में बाहर बिठाए जाने कारण ब्लैक बोर्ड पर अक्षर धूमिल दिखाई देता लेकिन इसके बावजूद भीम राव पढ़ाई में होशियार थे हर विषय में उन्हें महारत हासिल थी.
मोहनदास अपने पिता के धन के बल पर लंदन में कानून की पढ़ाई करने गए. भीम राव को बड़ोदा के राजा ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी पढ़ने भेजा पर इसके एवज में उन्हें बड़ोदा रियासत को अपनी सेवा देनी थी.
मोहनदास कानून की पढ़ाई कर बन गए "बैरिस्टर मोहनदास करमचंद गांधी" तो दूसरी ओर भीम राव इकॉनोमिक्स की डिग्री लेकर और कई विषय में थीसिस लिखकर बन "डॉ भीम राव आंबेडकर" इतनी पढ़ाई करने के बावजूद डॉ आंबेडकर ने दुबारा पढ़कर कानून की डिग्री हासिल की.
बैरिस्टर गांधी लॉ की डिग्री लेकर बॉम्बे आते हैं लेकिन कमजोर वकालत के कारण उन्हें कुछ ख़ास काम नही मिलता, गवाहों का क्रॉस एग्जामिनेशन में वे काफी फ़िसड्डी थे. बॉम्बे में बैरिस्टर गांधी खुद को वकील के रूप में स्थापित करने में नाकाम रहे, वापस राजकोट गए वहां पर हलफनामा बनाकर रोजी रोटी चलाने लगे.
काठियावाड़ के अरबपति बोहरी व्यापारी के भतीजे को दक्षिण अफ्रीका में एक निजी वकील की जरुरत थी. सिफारिश पर बैरिस्टर गांधी का नाम सुझाया गया और अपनी निजी सेवा देने गांधी दक्षिण अफ्रीका चल दिए.
भारत में डॉ भीम राव आंबेडकर की डिग्री उनकी प्रतिभा देखकर उन्हें बॉम्बे के सबसे बड़े कॉलेज सिडनेम कॉलेज में प्रॉफेसर नियुक्त किया गया.
बैरिस्टर गांधी ब्रिटिश के सहारे आधे नंगे होकर महात्मा बने, पुरे जीवन में गांधी के केवल दो किताब लिखी.
डॉ भीम राव अपना पूरा जीवन पिछड़े वर्ग को अधिकार दिलाने में लगा देते हैं, संघर्ष कर वे डॉ बाबा साहेब आंबेडकर बने करोडो वंचित वर्ग के मसीह.
डॉ बाबा साहेब अंबेडकर ने अपने पूरे जीवन में 32 से अधिक किताबे लिखी.
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