संविधान की सोच
संविधान कहता है कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह वैज्ञानिक समझ का प्रसार करे
इसलिए मैं आपसे कुछ कुछ बातों पर वैज्ञानिक तरीके से सोचने का आग्रह करता हूँ
हमारे सभी भगवान् हथियारधारी हैं
वे किनको मारते थे ?
क्या कहीं ऐसा तो नहीं मारने वालों को ही हमने भगवान बना लिया ?
आप कहते हैं वे असुरों को मारते थे
मतलब असुर खराब होते थे
ध्यान दीजिये हम पूरे असुर समाज को बुरा कहते हैं
हमारे युद्ध के वर्णनों में लिखा गया है कि हमले से असुर स्त्रियों के गर्भ गिर गये और असुर जल कर चिल्ला कर भागने लगे
इसका मतलब है जिन्हें हम मार रहे थे वे असुर परिवार समेत रहने वाले लोग थे
यानी असुर पूरे के पूरे समुदाय थे
उनके गाँव थे उनके परिवार थे पत्नी बच्चे घर सब थे
यानी वे हमारी तरह के ही लोग थे
हम उन्हें मारते थे
उनका कसूर था कि वे काले होते थे उनके सींग होते थे वे हो हो करके जोर से हंसते थे
आज भी आदिवासी काले होते हैं, हो हो कर के हंसते हैं,
आज भी आप कुछ समुदायों से नफरत करते हैं
आप दलितों आदिवासियों मुसलमानों ईसाईयों से नफरत करते हैं
उनके साथ खान पान शादी ब्याह में आपको आज भी आपत्ति है
यानी पूरे के पूरे समुदायों को अपराधी मानना आपके धर्म का शुरू से ही लक्षण है
आठवीं कक्षा की सामजिक विज्ञान की किताब पढियेगा
उसमें जेनरेलाईजेशन के बारे में एक पाठ है
इसका मतलब है कि यह एक दिमागी कमजोरी होती है कि आप पूरे समुदाय को एक जैसा मानते हैं उसका जेनेरलाइजेशन कर देते हैं
लेकिन हर समुदाय में तो अलग अलग तरह लोग होते हैं
लेकिन आप पूरे समुदाय को एक जैसा मानने की गलती कर रहे हैं
और यह आपका धर्म सिखा रहा है
इसलिए आप लापरवाही से कह देते हैं कि अरे इस ज़ात के लोग ऐसे होते हैं या इस धर्म के लोग वैसे होते हैं
जैसे आप असुरों को बुरा कहते हैं मुसलमान यहूदियों को बुरा कहते हैं
इसका मतलब है अतीत में हमने पूरे के पूरे समुदायों को एक जैसा मानने का अपराध किया
हमने कमज़ोर समुदाय की औरतों बच्चों को भी मारा
और मारने वाले अपने विजेताओं को भगवान मानने लगे
इस तरह की अवैज्ञानिक सोच ज्यादा दिन चलेगी नहीं
आज नहीं तो कल बच्चे इस सब पर सवाल ज़रूर उठाएंगे
इसलिए इस सब को खुद ही छोड़ दीजिये
याद रखिये धर्म हमेशा वर्तमान में होता है
आज का धर्म है बराबरी और न्याय
अगर आप खुद को महान बड़ा और सही मान कर दूसरों को नीचा और गलत मानते रहेंगे
तो जैसे नई पीढी पुराने अवैज्ञानिक धर्मों को छोड़ रही है
आपका धर्म भी त्याग दिया जाएगा,
विज्ञान और तर्कशीलता अंधविश्वास और अधर्म पर चोट कर रही है
आप फटाफट अधर्म को छोड़ दीजिये और सच्चे धर्म की तरफ आ जाइए
असली धर्म है इंसानियत, वैज्ञानिक समझ और तर्कपूर्ण सोच,
यही वैज्ञानिक सोच टिकेगी बाकी के पुराने सम्प्रदाय लोग छोड़ देंगे,
दुनिया में प्रेम शांति और सौन्दर्य लाने का यही रास्ता है,
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