कांग्रेस का दोहरा रूप
बाबा साहब को भारत रत्न देने से मंडल कमीशन लागू करने और ओबीसी आरक्षण तक, कांग्रेस के शासन में ओबीसी और एससी के काम क्यों नहीं होते हैं?
- बाबा साहब को कांग्रेसी शासन में भारत रत्न नहीं मिला. बाबा साहब के जन्म दिन की छुट्टी कांग्रेसी शासन में नहीं दी गई. बाबा साहब को भारत रत्न वीपी सिंह सरकार ने 1990 में दिया, जिसका समर्थन बीजेपी कर रही थी.
- सरदार पटेल को भारत रत्न इसके भी बाद जाकर मिला. पता नहीं कांग्रेस को क्या समस्या थी?
- मंडल कमीशन का गठन 1978 में हुआ, जब केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी, जिसमें जनसंघ (अब भी बीजेपी) शामिल थी. आडवाणी और वाजपेयी मंत्री थे.
- कांग्रेस इस रिपोर्ट पर बैठी रही. ये रिपोर्ट 1990 में लागू होती है. संयोग है कि इस सरकार का समर्थन बीजेपी कर रही थी. बीजेपी ने संसद में रिपोर्ट लागू करने का समर्थन किया. कांग्रेस ने विरोध किया.
- राजीव गांधी ने मंडल कमीशन के खिलाफ लोकसभा में जो भाषण दिया, वह उनके जीवन का सबसे लंबा भाषण था.
- ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा मोदी सरकार में मिला.
- 1986 से मेडिकल एडमिशन में ऑल इंडिया सीटों का नियम लागू था. इसमें नीट में ओबीसी कोटा नरेंद्र मोदी के समय पहली बार लागू हुआ.
लंबी लिस्ट है. कांग्रेस और ओबीसी का रिलेशन ठीक नहीं रहा है. लालू जी को फिर से संसद पहुंचने से भी राहुल गांधी ने रोका.
देखिए, सरकार कोई भी रहे, अपने समाज का काम होना चाहिए. कांग्रेस में एससी-एसटी-ओबीसी का काम कराना मुश्किल होता है. मुसलमान वोट का समर्थन के होने के कारण, कांग्रेस को अन्य समूहों की उतनी जरूरत नहीं होती. बीजेपी को एससी-एसटी-ओबीसी की जरूरत ज्यादा है.
कांग्रेस के दोहरे रूप के बावजूद आज जिन्हें (SCs, STs & OBCs) भी आरक्षण का लाभ मिला जो भी कमोवेश उन्नति हुई है वो नेहरू जी और बाद के कांग्रेसी नेताओं ने जो सरकारी संस्थाओं का स्थापना और विकास किया उसकी वजह से। अगर शासन सत्ता कथित राष्ट्रवादी पार्टी के हाथ में होता तो वंचित वर्ग घोर वंदना का शिकार होते।
क्या आप इस बात को समझ पा रहे हैं.
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