The Reality of RSS
'यह आप बिलकुल अच्छी तरह से जानते हैं कि इन लोगों ने मरने का फैसला कर लिया है |
यह कोई मज़ाक नहीं है | मैं कानून मंत्री को बताना चाहता हूँ कि वो इस बात को समझें कि कोई आम इंसान जान बूझ कर फाका करके मरने का फैसला नहीं कर सकता | आप थोड़ी देर के लिए भी ऐसा करके तो देखिये आपको खुद समझ में आ जाएगा |'
जो इंसान भूख हडताल करता है वह अपनी आत्मा की आवाज़ पर ऐसा करता है | वह अपनी आत्मा की बात सुनता है और उसे विश्वास होता है कि वह सच्चे और इन्साफ के रास्ते पर है |
वह कोई आम इंसान नहीं है जो ठन्डे दिमाग से किये गये दुष्टतापूर्ण अपराध का अपराधी हो '
- मोहम्मद अली जिन्नाह
नेशनल असेम्बली में भगत सिंह के पक्ष में बोलते हुए
दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक गोलवरकर भगत सिंह की कुर्बानी के आलोचक थे, देखिये उन्होंने भगत सिंह के खिलाफ क्या लिखा है
‘बंच ऑफ थॉट्स’ (गोलवलकर के भाषण और लेखों का संकलन, जिसे संघ में पवित्र ग्रंथ माना जाता है) के कई अंश हैं जहां उन्होंने शहादत की परंपरा की निंदा की है.
‘इस बात में तो कोई संदेह नहीं है कि ऐसे व्यक्ति जो शहादत को गले लगाते हैं, महान नायक हैं पर उनकी विचारधारा कुछ ज्यादा ही दिलेर है. वे औसत व्यक्तियों, जो खुद को किस्मत के भरोसे छोड़ देते हैं और डर कर बैठे रहते हैं, कुछ नहीं करते, से कहीं ऊपर हैं. पर फिर भी ऐसे लोगों को समाज के आदर्शों के रूप में नहीं रखा जा सकता. हम उनकी शहादत को महानता के उस चरम बिंदु के रूप में नहीं देख सकते, जिससे लोगों को प्रेरित होना चाहिए. क्योंकि वे अपने आदर्शों को पाने में विफल रहे और इस विफलता में उनका बड़ा दोष है.’ (देखें- बंच ऑफ थॉट्स, साहित्य सिंधु, बंगलुरु, 1996, पेज- 283)
अब यह संघी जिन्नाह को सबसे खराब इंसान कह कर उनकी फोटो को भी दीवार पर से हटाने के लिए मार काट मचा रहे हैं
ताकि भारत के लोग मान लें कि संघी बड़े देशभक्त हैं और भाजपा को सत्ता सौंप दें
हम मुसलमानों के साथ नहीं रह सकते यह प्रस्ताव सबसे पहले हिन्दू महासभा ने पारित किया था
भारत पकिस्तान के बंटवारे के लिए हिंदुत्व की राजनीति ज़िम्मेदार है
राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ की स्थापना ही मुसलमानों ईसाईयों कम्युनिस्टों और दलितों के खिलाफ हुई थी
हेडगवार ने खुद कहा था कि हिन्दू धर्म को मलेच्छों और शूद्रों की तरफ से मिलने वाली चुनौती का सामना करने के लिए हम राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ की स्थापना कर रहे हैं
लेकिन मुस्लिम लीग की स्थापना हिन्दुओं के खिलाफ नहीं हुई थी
मुस्लिम लीग ने द्विराष्ट्रवाद का प्रस्ताव हिन्दू महासभा द्वारा प्रस्ताव पारित करने के एक साल बाद पारित किया था
कि ठीक है अगर आप हमारे साथ नहीं रह सकते तो फिर हम भी आपके साथ क्यों रहें ?
लेकिन आज यह संघी भारत पाक के बंटवारे और दंगे फसादों के लिए जिन्नाह और गांधी के ऊपर पूरा टोकरा पलट देते हैं
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