https://www.facebook.com/share/p/o1S94XfMSACBXNh6/ कल महाराजा बिजली पासी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। पासी समाज के लिए हमने बहुत कुछ किया है। पहले ताड़ के पेड़ों से ताड़ी उतारने के लिए लोगों को टैक्स देना होता था। सरकार की ओर से ताड़ी टैक्स वसूला जाता था। मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद मैंने पासी भाईयों के लिए सदियों से चले आ रहे ताड़ी टैक्स (Palm Tree Tax) को माफ किया था। मुझे स्मरण है 1990-91 में एक दफ़ा सभा में उपस्थित पासी भाइयों से मैंने पूछा कि, ”पासी भाई दिखाएं कि ताड़ के पेड़ पर चढ़ने से उनके करेजा पर घट्ठा पड़ा है कि नहीं। (घट्ठा - त्वचा के ऊपर ऐसा घाव होता है जिसमें कुछ दूर तक चमड़ी कड़ी और काली हो जाती है) मैंने कहा कि, ”करेजा पर घट्ठा होई त देखावे के परी”। फिर क्या था भीड़ में शामिल पासी समाज के लोग कुर्ता- कमीज का बटन खोलने की बजाय सीधे फाड़ कर दिखाने लगे कि, “देखीं साहेब, हमरो करेजा पर घट्ठा बा” पहले की सामंती व्यवस्था में शोषक लोग दलित-पिछड़ी जाति के लोगों का सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और मानसिक से लेकर शारीरिक शोषण भी करते...
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