वीणा और हिमांशु की संघर्ष गाथा : छत्तीसगढ़ में आदिवासी के जीवन के लिए...

जब मैंने वीणा को पहली बार देखा तो वह दिल्ली के गाँव गाँव में अपने साथियों के साथ उनके मानवाधिकारों के लिए पदयात्रा कर रही थी 

वीणा ने खादी का सलवार कुरता पहना हुआ था और उसके एक कंधे पर कम्बल तह करके रखा हुआ था , कंधे पर खादी का झोला था और सर पर खादी का गमछा बांधा हुआ था 

इसके कई साल के बाद 1992  में एक ट्रेन के सफर में मैंने वीणा के सामने एक साथ रहकर आदिवासियों के लिए काम करने का प्रस्ताव किया 

और मुझे पता ही नहीं था कि वीणा कब से मुझे पसंद करने लगी थी

वीणा ने तुरंत हाँ कर दी 

हम दोनों ने अपने घर वालों को अपने फैसले की सूचना दी 

दोनों के परिवार वाले बहुत खुश हुए और तीन महीनों के भीतर बीस नवम्बर के दिन ही हम दोनों की शादी हो गई 

शादी के बीस दिन बाद हम दोनों ने अपना सामान पैक किया और हम दोनों बस्तर के एक गाँव में जाकर रहने लगे 

गाँव में वीणा के मेकअप बाक्स में हमने दवाइयां भरी और मलेरिया से मरते हुए आदिवासियों का इलाज करने लगे 

उसके बाद हमने आदिवासियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने और उन्हें संगठित करने का काम किया 

धीरे धीरे वहाँ के स्कूल नियमित होने शुरू हो गये, आंगनबाडीयां स्वास्थ्य केंद्र राशन की दुकाने खुलने लगीं 

धीरे धीरे हमारी संस्था के कार्यकर्ताओं की संख्या दो सौ पचास हो गई

सन दो हज़ार पांच में छत्तीसगढ़ सरकार ने पूंजीपतियों के लिए आदिवासियों की ज़मीनें हड़प करने के लिए आदिवासियों के साढ़े छह सौ गाँव जला दिए,

हजारों आदिवासियों को सरकारी फौजों ने मार डाला, सैकड़ों महिलाओं के साथ सिपाहियों ने बलात्कार किये 

तब मैं और वीणा आदिवासियों की तकलीफें सुनने लगे और उन्हें कपडे कम्बल खाने का राशन और कानूनी मदद देने का काम करने लगे 

हमारी मदद से आदिवासियों ने कई मामलों में सरकार को कोर्ट में घसीट लिया 

हम भाजपा सरकार द्वारा जलाए गये आदिवासियों के गाँवों को दोबारा बसाने लगे 

इससे छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार नाराज़ हो गई और उसने हमारी आश्रम पर बुलडोज़र चला दिया मेरे साथियों को जेल में डाल दिया

जिन आदिवासियों ने अदालत में शिकायत करी थी सरकार ने पुलिस के द्वारा उनका अपहरण करवा लिया  

जिन लड़कियों के मुकदमे अदालत में थे उन बलात्कार पीड़ित लड़कियों का पुलिस ने फिर से अपहरण करके उनके साथ थाने में दुबारा बलात्कार किया गया 

मेरे प्रमुख आदिवासी कार्यकर्ता को जेल में डाल दिया, दुसरे एक कार्यकर्ता और हाई कोर्ट के वकील को थाने में उल्टा लटका कर रात भर मारा 

मेरे कार्यकर्ताओं के घरों पर जाकर पुलिस ने धमकी दी कि वे मेरे साथ काम ना करें 

जिस रात पुलिस ने मेरी हत्या की प्लानिंग करी मुझे उस रात इस संघर्ष को जारी रखने के लिए वहाँ से निकलना पड़ा 

उसके बाद सरकार ने मेरे ऊपर अनेकों फर्जी मुकदमें बना दिए और मेरे प्रवेश पर बंदिश लगा दी 


मैं और वीणा दिल्ली में रह कर अदालतों और विभिन्न मंचों पर देश के सामने बस्तर की सच्चाई को उजागर करने का काम करने लगे 


तीन साल पहले हमारे मित्र प्रशांत भूषण के आग्रह पर हम लोग उनके संस्थान में पढ़ाने के लिए हिमाचल आ गये 


वीणा की दादी की चचेरी बहन डाक्टर सुशीला नय्यर थीं जो गांधी जी की फैमिली डाक्टर थीं और आज़ादी के बाद भारत की स्वास्थ्य मंत्री बनीं 


वीणा एक संपन्न पंजाबी परिवार से होने के बावजूद उसने गाँव गाँव में काम करना बस्तर में एक छोटे से गाँव में झोंपड़ी में रहना पसंद किया 


जीवन की हर चुनौती के समय वीणा ने मेरा साथ दिया 


हमने साथ साथ जीवन के कई मोर्चे साथ जीते हैं 


आगे भी लड़ेंगे और जीतेंगे 


साम्प्रदायिकता, गरीबों की लूट और अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी 


आज हमारी शादी को उन्तीस साल हो गये 


लेकिन लगता है हम अभी कल ही तो मिले थे

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