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Showing posts from January, 2022

गांधी की हत्या में गोडसे और उसके मित्र।

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गांधी की हत्या में गोडसे के साथ जिस दूसरे आदमी को फांसी की  सज़ा हुई थी उसका नाम नारायण आप्टे था. वह ब्रिटिश गुप्तचर  संगठन का एजेंट था और उसे इस काम के लिये नियमित पैसे मिलते  थे वह एक दुश्चरित्र व्यक्ति था उसने एक सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली  बच्ची के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाये जिसके फलस्वरूप वह  बालिका गर्भवती हो गई थी, गांधी को मारने में भले ही गोली गोडसे  ने चलाई थी लेकिन उसका गुरु नारायण आप्टे ही था गांधी की हत्या  ब्रिटिश गुप्तचर संगठन ने इसलिये करवाई थी क्योंकि गांधी ने बिहार  और बंगाल के दंगे जादुई तरीके से शांत करवा दिये थे और इसके  बाद गांधी ने घोषणा करी थी कि अब वे भारत से हिंदुओं को वापिस  पाकिस्तान लेकर जायेंगे और पकिस्तान से मुसलमानों को वापिस  भारत लेकर आयेंगे और आबादी के इस स्थानातंरण को वो स्वीकार  नहीं करेंगे गांधी की इस योजना से अंग्रेज घबरा गये क्योंकि  पकिस्तान को तो पश्चिमी साम्राज्यवादी खेमे ने अरब के तेल क्षेत्र  और  एशिया पर अपना दबदबा बनाये रखने के लिये एक फौजी अड्डे  के रूप में बना...

हिन्दू महासभा और सुभाष चन्द्र बोस

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4 मई 1940, एक सम्पादकीय छपता है। शीर्षक है "कोंग्रेस और साम्प्रदायिक संगठन" साप्ताहिक का नाम है, फॉरवर्ड ब्लॉक। सम्पादक सुभाष चन्द्र बोस। "बहुत समय पहले कोंग्रेस के बडे नेता हिन्दू महासभा और मुस्लिम लीग जैसे साम्प्रदायिक संगठनों के सदस्य हो सकते थे। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। ये साम्प्रदायिक संगठन और कट्टर साम्प्रदायिक हो गए हैं। इस कारण कांग्रेस के संविधान में हमने अब यह क्लॉज जोड़ दिया है कि  हिन्दू महासभा और मुस्लिम लीग जैसे किसी भी साम्प्रदायिक कट्टर संगठनों का सदस्य कॉंग्रेस का सदस्य नहीं रह सकता " मजेदार बात ये थी कि इस सम्पादकीय में हिन्दू महासभा का नाम हमेशा मुस्लिम लीग से आगे लिखा गया था ।  जब श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने हिन्दू महासभा जॉइन किया, तब अपनी डायरी में मुखर्जी ने लिखा कि "बोस मुझसे मिलने आये और कहा कि यदि आपने हिन्दू महासभा को पोलिटिकल बॉडी बनाने की सोची तो वे ये निश्चित करेंगे कि इसे आवश्यक हुआ तो बलप्रयोग द्वारा वे इसके जन्मने के पहले खतम कर देंगे।" धमकी!!! बलराज मधोक, महासभा के नेता, ने लिखा है " सुभाष चन्द्र बोस अपने समर्थकों के साथ...

Awful history of RSS. - आरएसएस के घृणित सच्चाई का इतिहास।

आरएसएस के लोगो से ये 16 प्रश्न आप कीजिये इनके जवाब ये लोग नही दे पायेगे उलटा आप को गाली देगे या ब्लॉक करके भाग जायेगे या विरोधियो का फोटोशॉप पोस्ट डालेगे पर फिर भी आप ये सवाल करते रहे (1) आरएसएस ने आज़ादी की लड़ाई क्यों नही लड़ी ? (2) आरएसएस हिन्दू हित की बात करता है उसकी वेशभुषा विदेशी क्यों है (3) सुभाषचन्द्र बॉस आज़ाद हिन्द सेना का गठन कर रहे थे तब संघ ने सेना में शामिल होने से हिन्दू युवकों को क्यों रोका (4) संघ के वीर सावरकर अंग्रेजो से 21 माफ़ी देकर जेल से क्यों छूटे जबकि 436 लोग और थे सेलुलर जेल में सिर्फ इन्होंने ही क्यों माफ़ी नामे लिखे ऐसी क्या विपदा आ गई थी (5) आरएसएस के पहले अधिवेशन में 1925 में द्विराष्ट्र सिद्धान्त हिन्दू राष्ट्र और मुस्लिम राष्ट्र का प्रस्ताव क्यों पारित किया गया जबकि एक तरफ आप लोग अखंड भारत की बात करते है (6) 1942 में असहयोग आंदोलन का बहिष्कार करता है संघ ऐसा पत्र ब्रिटिश गवर्मेंट को क्यों लिखा अगर ये पत्र न लिखते तो देश 1942 में आज़ाद हो जाता (7) गांधी जी के हत्या के प्रयास संघ आज़ादी के पूर्व से कर रहा था क्यों ? गांधी जी पर आज़ादी के पूर्व 5 बार संघियों ने हम...

फातिमा शेख़

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स्त्रियों की शिक्षा और दूसरे सामाजिक मसलों को लेकर संघर्षमें अग्रणी भूमिका के लिए प्रसिद्ध समाज-सुधारकफ़ातिमा शेख़ के 191वें जन्मदिन पर आज गूगल ने उनके चित्र के साथ डूडल बनाया है। भारत में स्त्री शिक्षा और ख़ासकर आधुनिक शिक्षा के लिए अभूतपूर्व मुहिम में फुले दम्पती (जोतिबा-सावित्रीबाई) के साथ फ़ातिमा शेख़ का नाम अमर रहेगा। सावित्रीबाई फुले की तरह उन्होंने भी आधुनिक शिक्षण पद्धति की बाक़ाएदा ट्रेनिंग हासिल की थी।  उनके भाई उस्मान शेख़ वह शख़्स थे जिन्होंने उस दौर में रेडिकल अभियान के कारण घर-बदर कर दिए गए फुले दम्पती को अपने घर में रखा था।  फुले दम्पती से रिश्ता महसूस करने वालों को फ़ातिमा शेख़, उनके भाई उस्मान शेख़ और फुले दम्पती के बीच के रिश्ते और स्त्रियों, वंचित तबकों और सभी समुदायों के लिए किए गए अभूतपूर्व कार्यों में इस साझी सामाजिक-राजनीतिक भूमिका के महत्व को समझना होगा।  आधुनिक भारत की इस पहली पंक्ति की शिक्षिका, समाज सुधारक और हमारी महान पुरखिन को सलाम, सद-सलाम। एक बार फिर विदेशी इतिहासकार ही साक्ष्यों को तलाश कर हमारे नायकों को सामने लाने में सफल हुए हैं। देश के इतिहासकारो...

राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले की 191 वीं जयंती।

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आज दिनांक 3 जनवरी 2022 को राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले की 191 वीं जयंती विश्वविद्यालय अम्बेडकर विचार एवं समाज कार्य विभाग में बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच के तत्वावधान में आयोजित की गई.   कार्यक्रम की शुरूआत द्वीप प्रज्जवलन एवं पुष्पांजलि अर्पित कर की गई. कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच के संरक्षक मान्यवर विलक्षण रविदास ने की.   वक्ताओं ने राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले के जीवन दर्शन पर विस्तार से चर्चा की एवं उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया. इतिहास की शोध छात्रा निमिषा राज ने कहा कि महिलाओं की शिक्षा में उनका योगदान अद्वितीय है। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह के लिए लड़ाई लड़ी और सती प्रथा सहित कई अन्य सामाजिक कुरीतियों, जिसमें महिलाओं को निशाना बनाया जाता था, के खिलाफ आवाज़ उठाई। सबसे उल्लेखनीय आंदोलन में से एक ‘नाई हड़ताल’ थी। यह हड़ताल विधवाओं के मुंडन के खिलाफ थी। अम्बेडकर विचार एवं समाज कार्य विभाग की शोध छात्रा खुशबु कुमारी ने कहा कि सावित्रीबाई भारत की पहली शिक्षिका और प्रधानाध्यापिका हैं। उन्होंने देश में बहुत सारे सामाजिक सुधार...