हिन्दू महासभा और सुभाष चन्द्र बोस




4 मई 1940, एक सम्पादकीय छपता है। शीर्षक है "कोंग्रेस और साम्प्रदायिक संगठन"
साप्ताहिक का नाम है, फॉरवर्ड ब्लॉक। सम्पादक सुभाष चन्द्र बोस।
"बहुत समय पहले कोंग्रेस के बडे नेता हिन्दू महासभा और मुस्लिम लीग जैसे साम्प्रदायिक संगठनों के सदस्य हो सकते थे।
लेकिन अब हालात बदल गए हैं। ये साम्प्रदायिक संगठन और कट्टर साम्प्रदायिक हो गए हैं। इस कारण कांग्रेस के संविधान में हमने अब यह क्लॉज जोड़ दिया है कि  हिन्दू महासभा और मुस्लिम लीग जैसे किसी भी साम्प्रदायिक कट्टर संगठनों का सदस्य कॉंग्रेस का सदस्य नहीं रह सकता "
मजेदार बात ये थी कि इस सम्पादकीय में हिन्दू महासभा का नाम हमेशा मुस्लिम लीग से आगे लिखा गया था ।

 जब श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने हिन्दू महासभा जॉइन किया, तब अपनी डायरी में मुखर्जी ने लिखा कि "बोस मुझसे मिलने आये और कहा कि यदि आपने हिन्दू महासभा को पोलिटिकल बॉडी बनाने की सोची तो वे ये निश्चित करेंगे कि इसे आवश्यक हुआ तो बलप्रयोग द्वारा वे इसके जन्मने के पहले खतम कर देंगे।" धमकी!!!

बलराज मधोक, महासभा के नेता, ने लिखा है " सुभाष चन्द्र बोस अपने समर्थकों के साथ हिन्दू महासभा को बल पूर्वक निपटने आये।उनके समर्थक हिन्दू महासभा की हर मीटिंग में पहुँच जाते और महासभा के उम्मीदवारों की धुलाई करते। 
मुखर्जी को ये बरदाश्त नहीं हुआ, और उन्होंने अपनी एक मीटिंग रखी। जैसे ही वे बोलने खड़े हुए, एक पत्थर उनके सर पर लगा और वे खून से भीग गए।"

कहते हैं बोस ने इसके बाद मीटिंग तहस नहस कर दिया और मुखर्जी को सभा छोड़कर दौड़ना पड़ा।

पराक्रम दिवस हम मनाते हैं आज नेताजी की याद में, जिन्होंने न केवल अंग्रेज़ों को कॉलर से पकड़ कर धकियाया बल्कि कट्टर धर्म के नामपर देश बरबाद करने वाले महासभाइयों और लीगियों को भी लतियाया।

(आज़ाद_हिंद_फ़ौज द्वारा 1946 में जारी किया गया कैलेंडर। कोई इर_वीर_फ़त्ते का चित्र नहीं दिख रहा भाई।)

VJ Shukl

Comments

Popular posts from this blog

अपने तो अपने होते हैं - महाराजा बिजली पासी जयंती: लालू प्रसाद यादव

आदिवासी भूमि या रणभूमि

ठीक नहीं हुआ प्रधानमंत्री जी!