Caste system in Islam मुसलमानों में जातियां
मुसलमानों में सवर्ण, पिछड़ा और दलित जातियां हैं। इनकी आपस में शादियाँ नहीं होतीं। फिर शिया व सुन्नी दो बड़े सेक्शन हैं। इनकी आपस में शादियाँ तो छोड़िए अमूमन दोस्ती तक नहीं होती, दुश्मनी भले रहे या हो जाये। पाकिस्तान में तो इनके बीच जंग ही होती रहती है।
इन दो धड़ो में फिर ढेर सारे फिरके हैं, मसलन सुन्नियों में वहाबी, बरेलवी, अहले हदीस आदि। इनकी भी आपस में शादियाँ नहीं होतीं, कई तो एक दूसरे की मस्जिदों में नमाज़ तक नहीं पढ़ते। मेरा ताअल्लुक़ बरेलवी ग्रुप से है और मुझे लगता है कि हमारा ग्रुप सबसे खुराफ़ाती मुसलमान है। बरेलवी की मस्जिद में किसी और फिरके के लोग आ जाएं तो मारपीट तक हो सकती है, बाकी मस्जिद धोयी जाएगी, ये तो पक्की बात है।
हिन्दू धर्म में धर्मांतरण हो जाये तो संकट खड़ा हो जाएगा कि उसे किस जाति में रखा जाए। मुसलमानों में शिया या सुन्नी में जाना तो आसान है लेकिन जाति वाला संकट यहां भी है।
वहाबी व अहले हदीस तबक़े से पिछले कुछ सालों में एक तरक्कीपसंद तबका पैदा हुआ है जो जाति तोड़कर शादियाँ कर रहा है लेकिन ये अभी प्रचलन में बहुत कम है। शिया समूह के बारे में ज़्यादा लिखने की हैसियत नहीं।
मुसलमान दहेज़ लेते हैं और महिलाओं को संपत्ति में हिस्सा नहीं देते, ये दोनों बातें इस्लाम के मुताबिक़ ग़लत हैं, लेकिन इसे करने में अनपढ़, कुपढ और पढ़े लिखे मुसलमान कोई गुरेज़ नहीं करते।
मेरे कुछ अरबी दोस्तों के हवाले से मुझे मालूम हुआ कि जाति वाली समस्या वहाँ नहीं है। लेकिन मेरे जिस दोस्त ने इस पर मुझसे खूब बातें की उसी ने एक अरबी लड़की से मेरी दोस्ती तुड़वा दी, वरना आज वो मेरी बीबी होती। (दोस्त ओमान का था और लड़की यमन की।) वजह अरब और नॉन अरब का फितूर था, इससे लगता है कि नस्ली भेदभाव वहाँ भी होगा। अरबी समाज से परिचित लोग चाहें तो अपने अनुभव जोड़ें।
इसके बाद भी कोई हिन्दू या ईसाई सोचता है कि वो मुसलमान बनकर तीर मार लेगा तो मारे, मेरे बाप का क्या जाता है।
... बाकी पढ़ने सुनने में यही आता है कि दुनिया भर में इस्लाम अपनाने वालों की तादात लगातार बढ़ रही है। ख़ैर मेरी मुलाकात आज तक किसी भी धर्मांतरित मुसलमान से नहीं हुई।
Salman Arshad
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